Navgraha Healing Therapy
जिस प्रकार वेदों को ज्ञान का भंडार कहा गया है जिनकी शरण में जाकर व्यक्ति जीवन को सही ढंग से जीने का मार्ग जान सकता है, उसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र को वेदों का नेत्र कहा गया है जो हमे दर्शाता है की जीवन में जिस भी घटनाक्रम से हम गुजर रहे है उसका कारण क्या है और स्थिति कैसे सुधर सकती है।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र जिसे वैदिक ज्योतिष के नाम से भी जाना जाता है; जैमिनी, पाराशर, भृगु एवं अगस्त्य जैसे महान वैदिक ऋषियों के द्वारा आशीर्वाद रूप में मानवता को प्राप्त हुआ।
नव ग्रहों, बारह राशियों व सत्ताइस नक्षत्रों पर आधारित है हमारा सनातन ज्योतिष शास्त्र। यही ग्रह, नक्षत्र और राशियाँ मिलकर हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को न सिर्फ संचालित करते है बल्कि यह भी निर्धारित करते है कि जीवन के किस क्षेत्र में हमें क्या अनुभव करना पड़ेगा।
यदि कोई ग्रह जन्मपत्री में शुभ फल नही दे रहा है, कमज़ोर या नीच का है, तो निश्चित ही हम उस ग्रह द्वारा संचालित किए जा रहे विभिन्न पहलुओं में सफलता का अनुभव नहीं कर पाते। ज्यादातर ज्योतिषी जो ज्योतिष शास्त्र में बहुत अनुभवी और प्रवीण है वो भी यही कहते हैं कि पिछले जन्मों के कर्मों के चलते इस ग्रह की ऐसी स्थिति बनी है।
यूँ तो कई उपाय है ग्रहों को बलिष्ठ करने के जिनमें से सबसे विख्यात उपाय है रत्न धारण करना। रत्न सहायता तो करते है लेकिन ज्यादातर कुंडलियों में ऐसी स्थिति बन जाती है कि रत्न भी एक सीमा के बाद असर नहीं कर पाते।
वैदिक ध्यान साधनाओं पर आधारित हमारा विशेष ध्यान कार्यक्रम “नवग्रह हीलिंग थेरेपी” न सिर्फ प्रतिकूल से प्रतिकूल अवस्था के ग्रहों और उनसे जुड़े कर्मों से मुक्ति दिलाते हुए उनको आपके अनुकूल बनाने में सहायता प्रदान करेगा बल्कि पहले से ही अनुकूल ग्रहों को और अधिक बल प्रदान कर आपके जीवन के सभी पहलुओं को संपूर्णता से जीने में सहायक सिद्ध होगा।